कीर्ति मुख को कियों पूजा जाता हे भगवान से भी ज्यादा !!!
आइये जानते हे विस्तार से
एक राक्छस जिसका स्थान भगवानो से भी ऊँचा हे सच हे और ये राक्छस शिव जी का ही गण हे
जिसका नाम हे कीर्ति मुख ! एक बार जब शिव जी अपने ध्यान में लीन थे तब राहु ने उनके सिर पर लगे चाँद को ग्रहण लगा दिया था
- जिसे देख शिव जी बहुत ज्यादा किरोधित हुए
- और उन्होंने अपनी तीसरी नेत्र से कीर्तिमुख की उत्पति करदी
- कीर्तिमुख राहु के पीछे उसे खाने के लिए दौड़ा
राहु बहुत ज्यादा घबरा गया था और उसने तुरंत ही जाकर शिव जी से माफ़ी मांग ली शिव जी तो थे ही भोले भंडारी उन्होंने तुरंत ही राहु को माफ़ कर दिया
कीर्ति मुख ने कहा की में तो बहुत भूंका हूँ अब में किस को खाऊ तब शिव जी ने कहा की तुम अपने आप को ही खा जाओ और कीर्तिमुख ने शिव के आदेश का पालन करते हुए अपने आप को ही पूरे तरीके से खा लिया
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तब शिव जी ने कीर्तिमुख को वरदान देते हुए कहा की जिस भी दरवाजे पर तुम्हारा मुख लगाया जाता हे वंहा की नकारत्मकता ऊर्जा को कीर्तिमुख पूरी तरीके से खा लेता हे
कुछ ख़ास बातें
- कीर्ति मुख को ग्रीन मेंन का दूसरा रूप भी माना जाता हे
- कीर्ति मुख का उद्यम kender स्कन्द पुराण और शिव पुराण की एक की वंदिती से हुआ हे
- कीर्ति मुख का नाम संस्कृत के शब्द कीर्ति मुख से बना हे जिसका मतलब हे शानदार चेहरा। ...